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Sone Ki Patni : Chatursen Ki Kahaniyan-4
जिस देश की संस्कृति अपना इतिहास भूल जाती है, वह देश दुनिया के नक्शे से हमेशा के लि, नष्ट हो जाता है । जब—जब भारत अपना इतिहास भूला, तब–तब पराधीन होता चला गया, लेकिन जब इस देश के समाज सुधारकों, चिंतकों और साहित्यकारों ने लोगों को भारत के गौरवशाली इतिहास से अवगत कराया, तो तब देश न केवल स्वतंत्र हुआ वरन नव निर्माण के साथ उन्नति के शिखर को छूने के निकट जा पहुंचा । देश के नव निर्माण में आचार्य चतुरसेन के योगदान को भुलाया नहीं जा सकता, क्योंकि उन्होंने, ऐतिहासिक, धार्मिक ,वं सांस्कृतिक कहानियां लिखकर लोगों को भारत के गौरवशाली इतिहास से अवगत कराया ,एवं देश की संस्कृति में नव प्राण फूंकें । आचार्य चतुरसेन शास्त्री हिन्दी भाषा के ,क ,ऐसे महान कहानीकार थे, जिनका अधिकांश लेखन ,ऐतिहासिक घटनाओं पर ही आधारित है । सबसे बड़ी बात यह है कि आचार्य चतुरसेन शास्त्री हिन्दी के उन साहित्यकारों में हैं जिनका लेखन–क्रम साहित्य की किसी ,एक विशिष्ट विधा में सीमित नहीं किया जा सकता । उन्होंने लगभग पचास वर्ष के लेखकीय जीवन में 177 कृतियों का सृजन किया । उन्होंने अपनी किशोरावस्था से ही हिन्दी में कहानी और गीतिकाव्य लिखना आरंभ कर दिया था । बाद में उनका साहित्य–क्षितिज फैलता गया और वे उपन्यास, नाटक, जीवनी, संस्मरण , इतिहास तथा धार्मिक विषयों पर लिखने लगे । उन्होंने प्राय: साढ़े चार सौ कहानियाँ लिखीं हैं । आचार्य चतुरसेन की कहानियां रोचक और दिल को छूने वाली हैं । शास्त्रीजी अपनी शैली के अनोखे लेखक थे, जो अपने कथा–साहित्य में भी इतिहास, राजनीति, धर्मशास्त्र, समाजशास्त्र और युगबोध से सम्पृक्त विविध विषयों को दृष्टि में रखकर लिखते थे । आचार्य जी के उपन्यासों, कहानियों में साहित्यकार की अपेक्षा ,क इतिहासकार का दृष्टिकोण अधिक देखने को मिलता है । निसंदेह आचार्य चतुरसेन शास्त्री अपनी कहानियों के माध्यम से हमेशा अमर रहेंगे ।
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