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Srajansheelta Ka Sankat
भारतेन्दु और लाला श्रीनिवास दास ने ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य में ‘राजनीतिक और आर्थिक मनुष्य’ का साक्षात्कार कराया था जो गहरे संकट को देख सकता था और अनुभव कर सकता था । (वह मनुष्य ‘मध्ययुगीन मनुष्य’ से भिन्न और आधुनिक था) । मुक्तिबोध ने ‘आधुनिकतावादी–अस्तित्ववादी–व्यक्तिवादी मनुष्य’ और श्रम– परिभाषित ‘ऐतिहासिक सामाजिक मनुष्य’ की संघर्ष गाथा में गहरे संकट की सृजनशील सम्भावना को देख लिया था । ये दोनों मनुष्य विचारधारात्मक थे । मुक्तिबोध की काव्य चेतना में भारतेन्दु के सृजनशील संकट के वंशज–भाव का विकास था । मुक्तिबोध के लिए भारतेन्दु इतिहास के सिलसिले में आधुनिकता के विशिष्ट और गहरे प्रसंग थे । अज्ञेय के लिए भारतेन्दु सिर्फ रेफरेंस थे ।
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