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Teesmaar Khan Avm Anya Kahaniyan

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2017
978-93-85450-99-0

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बेचारी नन्हीं जितना तेज दौड़ सकती थी, उतना तेज दौड़ती, मगर भूखे कुत्ते उसे हरा देते और उससे पहले उसका खाना झपट लेते । नन्हीं अपनी सौतेली बहन को भूखी नजरों से देखती रहती और सौतेली बहन मजे से अपना खाना साफ, सफेद कटोरे में खाती रहती । नन्हीं को वह कभी खाने के लिये नहीं बुलाती । नन्हीं सदा भूखी रहती । अक्सर वह बिना खाना खाए रह जाती और परेशान रहती । एक दिन वह अपनी माँ की कब्र पर गई, घुटनों के बल बैठकर उसने अपनी दु%खद गाथा अपनी माँ को सुनाई % ''ओ माँ, ओह माँ! मेरी सौतेली माँ मुझे कुछ नहीं देती है । मेरा खाना चूल्हे के पास पत्थर पर रख देती है और मुझे खतरनाक कुत्तों से जूझना पड़ता है । वह अपनी बेटी को साफ-सुथरे कटोरे में खाना देती है जिसे वह अकेली शांति से खाती है ।'' उसकी माँ अपनी इकलौती बेटी के दु%ख से अपनी कब्र में कसमसाने लगी । ''ओह मेरी बच्ची, ओ मेरी बिटिया! कुछ जीते हैं और कुछ मरते हैं । यही भगवान का नियम है---'' उसने अपनी कब्र के साथ के अंजीर के पेड़ को बुलाया % ''ओ स्वर्ग के अंजीर पेड़, कृपा करके नीचे झुक जाओ और मेरी अनाथ बच्ची को भरपेट अपने फल खाने दो । कितने दिनों से उसके मुँह में अन्न का दाना नहीं गया है ।'' स्वर्ग का अंजीर पेड़ नीचे झुक गया और नन्हीं ने शांति से चुपचाप भरपेट खाया, उसने बनाने वाले को धन्यवाद दिया और अपनी माँ से विदा लेते हुए कहाµ ''ओ स्वर्ग के अंजीर पेड़ सीधे खड़े हो जाओ ।'' स्वर्ग का अंजीर पेड़ सीधा खड़ा हो गया । ऐसा ही उसकी प्यारी माँ ने उसे खाते समय कहा था और उसने अपनी काँ की बात मानकर वैसा ही किया और खुशी-खुशी घर चली गई । - इसी पुस्तक से

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