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Tum Kro Toh Punye Hum Kren Toh Paap
तुम करो तो पुण्य हम करें तो पाप’ के लेख संविधान द्वारा घोषित स्त्री पुरुष समानाधिकार के बीच मौजूद गहरे भेद की पड़ताल करते हैं । स्त्री को ‘प्रदत्त’ और ‘मान्य’ दोनों स्थितियों में सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, पारिवारिक सभी स्तरों पर काफी भिन्नता है । जो ‘दिखाई दे’ रहा है उससे भयावह ‘न दिखाई देने’ वाला है । स्त्री की सोच, उसके विचार, उसका स्व, उसका व्यक्ति आज भी खतरे में है । बाजारवाद, उपभोक्तावाद और वैचारिक संरचना के नष्ट समय में स्त्री नयी शताब्दी के द्वार पर खड़ी फिर पीछे धकेली जा रही है । जरूरत स्त्रियों के जागने की है । शोषण के सूक्ष्म औजारों को समझने की है, विद्रोह, प्रतिरोध और हस्तक्षेप के साथ । लेखिका ने स्त्री दृष्टि से स्थितियों को देखने की एक छोटी–सी कोशिश की है और साथ ही स्त्रियों से एक आह्वान भी किया है कि वे संसार को अपनी दृष्टि से देखें और काम करें । विश्व की औरतों अपनी शक्ति बढ़ाओ अपनी जंजीरों को तोड़ो और हिंसा से मुक्त हो जाओ ऊंची और स्पष्ट आवाज में अपने लिए नई दुनिया की घोषणा करो जिसमें सब बराबर हों हमारा सम्मान हो वर्ण, संस्कृति या जाति के भेद से हमारे अधिकारों का हनन न हो शांति और स्वतन्त्रता से हमारे सपने और आशाएँ पूर्ण हों । -फिलिपायन सूज़न मैगनों
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