• New product

Tushar

(0.00) 0 Review(s) 
2018
978-93-82554-97-4

Select Book Type

Earn 4 reward points on purchase of this book.
In stock

पोलैंडकी कवयित्री विस्लावाशिम्बोर्स्का ने साहित्य के लिए नोबेल पुरस्कार प्राप्त करते समय अपने व्याख्यान में कहा था। “काव्य सृजन कोई पेशा नहीं है जिसके लिए कोई परीक्षा निर्धारित हो जिसे पास करके हासिल किया जा सके ।’’ “कविता का शाब्दिक अर्थ है काव्यात्मक रचना या कवि की कृति, जो छन्दों कीश्रृंखलाओं में विधिवत बांधी जाती है । काव्य वह वाक्य रचना है जिससे चित्त किसी रस या मनोवेग से पूर्ण हो जाय । अर्थात् वह कला जिसमें चुने हुए शब्दों के द्वारा कल्पना और मनोवेगों का प्रभाव डाला जाता है । ‘रसात्मक वाक्य ही काव्य है’ । रस अर्थात् मनोवेगों का सुखद संचार ही काव्य की आत्मा है । कविता सृष्टि से रागात्मक सम्बंध जोड़ने में सहायक होती है । काव्य सिद्धचित्त को अलौकिक आनंदानुभूति कराता है । कविता किसी विचार की संवेदनात्मक अभिव्यक्ति अथवा स्थिति का संवेदनात्मक वर्णन ही नहीं बल्कि अपने आप में एक चिन्तनविधि है ।” जहाँ तक हिंदी कविता का सम्बन्ध है कुछ वर्तमान कवियों के विचार हैं कि वर्तमान में एक ऐसा वातावरण बन गया है जिसमें इसके पाठक बहुत कम हैं । पहले पढ़े लिखे परिवारों में कविता की पुस्तकें अवश्य रहती थीं और लोग रूचि लेकर उन्हें पढ़ते भी थे किन्तु तब के और अब के समय में बहुत परिवर्तन हो गया है । लोगों की रुचियों में, कार्यशैली में अभूतपूर्व बदलाव आया है । परिवर्तन तो नैसर्गिक नियम है । पाठक भले ही आज कम हों लेकिन कल बढ़ भी सकते हैं । कविता का सीधा सम्बन्ध मानवीय भावनाओं से है, वही कविता की सुरक्षा की गारंटी है ।

You might also like

Reviews

No Reviews found.