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Vaman Avtar

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2016
978-93-82554-34-9

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एक संवेदनशील व्यक्ति के लिए कोई मार्मिक घटना या विषम परिस्थिति अथवा स्मृति महज आई गई चीज न होकर सहयात्री होते हैं जो कि उसके अवचेतन में पैठ बनाकर उसे रचनाकार बनाती है । जिस क्रौंच पक्षी को बहेलिए का बाण लगा उसके लिए संभवत: यह महज घाव था भले ही प्राणघातक ही क्यों न हो । लेकिन कवि के लिए कोई भूली बिसरी स्मृति न होकर किसी रचना का प्रेरणा स्रोत बना । पाठक भी आज यदि कोई साहित्यिक रचना पढ़ता है तो इसका अर्थ है कि वह बहुतों से भिन्न है अन्यथा वह औरों की तरह इस समय का प्रयोग किसी और मनोरंजन के माध्यम के लिए कर सकता था । इस कहानी–संग्रह में आपको समकालीन जीवन और परिवेश के कतिपय विश्वसनीय तस्वीरें देखने को मिल सकती हैं । किसी कहानी में छोटी जगह से अपने आँगन में जाड़े की खुली धूप और गर्मी में छत पर बिस्तर लगाकर तारों को देखते हुए निद्रामग्न हो जाना छोड़कर शहर के धुएँ और भीड़ भरे अनजाने माहौल में रुआँसे इंसान की गाथा देखने को मिल सकती है । कहीं इस एकाकीपन और अजनबीयत के गरल का पान करके बेहतर भविष्य पाने की जिजीविषा भी दिख सकती है । जमाने के हिसाब से चलने में विश्वास करने वालों द्वारा अपनी सुविधा और लाभ को ही नैतिकता समझ लेने वाले भी हैं । प्रबुद्ध पाठकों को कहीं–कहीं अनपढ़ता भी झलक सकती है । परन्तु संभवत: यही तत्व उन्हें ताजगी की भी अनुभूति कराए ।

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