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Dekha Tarpan Apna Darpan
प्रस्तुत कृति ‘देखा दर्पण अपना तर्पण’ में इन्होंने आत्मकथा वि/ाा को विलक्षण ताजगी दी है । इनके पास अनुभवों की लंबी विरासत है । नागार्जुन, रेणु, राजकमल चै/ारी, आरसी प्रसाद सिंह इत्यादि प्रख्यात साहित्यकारों से इनका साहचर्य रहा । विष्णु किशोर झा ‘बेचन’, राँची वाले रा/ााकृष्ण और प्रो– प्रफुल्ल कुमार सिंह ‘मौन’ से भी इनकी गहरी अंतरंगता रही । इन्हें फणीश्वर नाथ रेणु, राजकमल चै/ारी और नागार्जुन के साथ रहने का भी अवसर मिला । प्रसिद्ध समाजवादी एवं मानवतावादी नेता परमेश्वर कुँवर का भी स्नेहाशीष इन्हें प्राप्त हुआ । इस कृति में इन सबके ज्ञानात्मक दृष्टिकोण से शालिग्राम जी ने हमें परिचय कराया है । लेखक ने साहित्यकारों और सहयोगियों, परिचितों एवं रिश्तेदारों से अपनी सामाजिक एवं वैयक्तिक अंत%क्रियाओं का सुविचारित ढंग से उल्लेख किया है । ‘देखा दर्पण अपना तर्पण’ में लेखक शालिग्राम ने अपनी पूरी जिंदगी का ब्योरा प्रस्तुत किया है । उनके साहित्यिक, सामाजिक, सांस्कृतिक एवं राजनीतिक चेतना का यह जीवंत दस्तावेज है ।
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