• New product

Eakla Chalo

(0.00) 0 Review(s) 
2021

Select Book Type

Earn 4 reward points on purchase of this book.
In stock

छब्बीस साल से मैं निर्वासन में हूँ । मेरा अपराध क्या था ? मैंने मानवता के हक में लिखा है, यही मेरी गलती है । अब भी मेरे खिलाफ फतवे जारी होते हैं । अब भी मुझे धमकी दी जाती है । अब भी मेरे पाँव तले की जमीन खिसक जाती है । मुझे और कितने अनिश्चय, और कितनी मुसीबतों का सामना करना होगा ? असल में मैं यह अच्छी तरह समझती हूँ कि पृथ्वी का कोई देश मेरा देश नहीं है । मेरी भाषा ही मेरा देश है । वह भाषा, जिसमें मैं लिखती हूँ, जिसमें मैं बात करती हूँ । मेरे पास धन–दौलत जो भी था, सब कुछ मुझसे छीन लिया गया है । लेकिन मैं उम्मीद करती हूँ कि मेरी भाषा कोई मुझसे छीन नहीं पायेगा । छब्बीस साल बहुत लम्बा समय होता है । और सिर्फ निर्वासन ही नहीं, सिर्फ किताबों पर प्रतिबन्ध ही नहीं, मुझे भारत के कई राज्यों और शहरों में भी निषिद्ध किया गया है, मुझ पर शारीरिक हमले हुए हैं, मानसिक हमला तो निरन्तर जारी ही है । मुझे नजरबन्द किया है, मेरा बहिष्कार किया गया है, मुझे काली सूची में डाला गया है । एक बार नहीं, कई बार मेरे सिर की कीमत घोषित की गयी है । मीडिया के एक बड़े हिस्से ने मुझे छापना बन्द किया है, मुझे भीषण तरीके से सेन्सर किया गया है । राजनीतिक हत्या का शिकार होते–होते मैं बाल–बाल बची हूँ । साफ कहूँ, तो तनी हुई रस्सी पर मैं बेहद खतरनाक ढंग से चल रही हूँ । इसके बाद भी मैंने भारत में ही रहने की प्रतिज्ञा की है । इसका कारण यह है कि इस उपमहादेश का एक देश होने के बावजूद भारत अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता का सम्मान करता है । -तसलीमा नसरीन

You might also like

Reviews

No Reviews found.