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Krantikari Ki Aatmakatha
7 फरवरी 1908 काशी में जन्म । 1921 में असहयोग आंदोलन के बाद काकोरी में सरकारी खजाना लूटने की घटना (1925) में सक्रिय हिस्सेदारी । ‘हिदुस्तान रिपब्लिकन एसोसिएशन’ के प्रमुख सदस्य । चन्द्रशेखर आज़ाद को क्रांतिकारी दल में लाने का श्रेय । काकोरी मुकदमे में कम उम्र के चलते फांसी से बचे लेकिन 14 वर्षों का कठोर कारावास । बाद मेंं भी कई बार जेल–यात्रा । बंदी जीवन ने राजनीतिक बंदियों के अधिकारों के लिए लंबी भूख हड़ताल की । बरेली जेल में पहली पुस्तक ‘काकोरी के शहीद’ लिखी जो जब्त हुई । ‘क्रांतिकारी की आत्मकथा’ के साथ ‘भारतीय क्रांतिकारी आंदोलन का इतिहास, ‘शहीद भगत सिंह और उनका युग’, ‘दे लिव्ड डेंजरसली’, ‘क्रांतिकारी आंदोलन का वैचारिक विकास’, ‘अमर शहीद चन्द्रशेखर आज़ाद और उनका युग’, ‘भूले–बिसरे क्रांतिकारी’, ‘भारत के क्रांतिकारी’ तथा ‘आधी रात के अतिथि’, ‘तोड़म–फोड़़म’ जैसे अनेक उपन्यासों व कहानियों के साथ आलोचना की पुस्तकें भी लिखीं । भारत सरकार के प्रकाशन विभाग मेंं रहकर ‘बाल भारती’, ‘योजना’ और ‘आजकल’ पत्रिकाओं का संपादन किया । हिंदी, बंगला तथा अंग्रेजी में लगभग डेढ़ सौ पुस्तकें लिखीं । अनेक अनुवाद कि, जिनमें विभूतिभूषण बंद्योपध्याय का प्रसिध्द बंगला उपन्यास ‘पथेर पांचाली’ और ‘सुकरात का मुकदमा’ प्रसिध्द हैंं । 26 अक्टूबर 2000 को दिल्ली में निधन ।