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Madanmohan Malviye Navjagran ka Lokvrath
मदनमोहन मालवीय! भारतीय नवजागरण का एक महत्त्वपूर्ण नाम, महान परम्परा का प्रतीक, अपने आप में एक संस्थान, स्वाधीनता आन्दोलन और राष्ट्रीय नवजागरण का महत्त्वपूर्ण सन्दर्भ प्रस्थान, जिनसे गुजरना भारतीय नवजागरण की गौरवशाली परम्परा से परिचित होना है। मालवीय जी हिन्दी प्रदेश के उन थोड़े से लोगों में से थे, जिनकी पहचान अखिल भारतीय थी। उनका सजग सक्रिय राजनीतिक-सांस्कृतिक जीवन छह दशाब्दियों तक फैला हुआ है। 1880-1940 तक की उनकी पूरी जीवन-यात्रा और विचार-यात्रा, स्वाधीनता और स्वदेशी अभियान को गति देने तथा राष्ट्रीय चेतना को सुदृढ़ करने के साथ-साथ हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना और उसके उन्नयन के संकल्प की अन्तर्कथा है। वे कांग्रेस के माध्यम से राजनीतिक-सांस्कृतिक कार्यों में सक्रिय होते हैं; हिन्दोस्थान, अभ्युदय, लीडर, मर्यादा की पत्रकारिता से नवजागरण की विचार-चेतना का विकास और विस्तार करते हैं; भारत की आर्थिक बदहाली के लिए ब्रिटिश साम्राज्यवाद की आलोचना करते हैं; हिन्दू-मुस्लिम एकता के सामूहिक प्रयास का आह्वान करते हैं; हिन्दी-भाषा और देवनागरी लिपि की वकालत करते हैं; शिक्षा के भविष्य और भविष्य की शिक्षा के बारे में सोचते हुए हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना करते हैं-मदनमोहन मालवीय का सम्पूर्ण जीवन नवजागरण की विकास-यात्रा का ही पर्याय है।
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