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Sahitya Ka Itihas Darshan

(4.50) 2 Review(s) 
2022
978-93-92380-71-6

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आचार्य नलिन विलोचन शर्मा की पुस्तकों में सबसे महत्व की पुस्तक ‘साहित्य का इतिहास–दर्शन’ को माना जाता है । यह पुस्तक उनके निधन के लगभग एक साल पूर्व 1960 ईस्वी में प्रकाशित हुई । जब हिन्दी साहित्य और साहित्येतिहास लेखन में ‘इतिहास–दर्शन’ की चर्चा लगभग न के बराबर थी, नलिन जी ने हिन्दी साहित्य को इससे परिचित कराया । इस दृष्टि से ‘इतिहास–दर्शन’ पर हिन्दी में यह पहली पुस्तक है । हिंदी में साहित्य–शोध, उसकी हिस्टोरियोग्राफी और शोध–सैद्धांतिकी के क्षेत्र में इस पुस्तक का महत्व आई– ए– रिचर्ड्स की पुस्तक ‘प्रिंसिपल ऑफ लिटरेरी क्रिटिसिज़्म’ के बराबर नहीं तो उससे कमतर भी नहीं है । बिहार राष्ट्रभाषा परिषद् की भाषण–माला–योजना के तहत इसका प्रकाशन हुआ । ऐसा कहा जाता है कि तत्कालीन परिषद् सभापति बाबू शिवपूजन सहाय ने पृष्ठ संख्या 200 से कम होने पर नलिन जी को कहा कि परिषद् के नियमानुसार हम दो सौ से कम पृष्ठ की किताब नहीं छाप सकते, अत: आप कुछ चीजें और जोड़कर इसे छापने योग्य बनाएँ । पर, नलिन जी इसके लिए तैयार नहीं थे । अत: बीच का रास्ता निकाला गया और शिवपूजन सहाय के ही सुझाव पर अँग्रेजी सहित कुछ अन्य योरोपीय भाषाओं में शोध–महत्व की पुस्तकों की सूची जोड़कर इसे परिषद् के नियमानुकूल प्रकाशन के लिए उपयुक्त बनाया गया । यह पुस्तक प्रचलित अर्थों में ‘साहित्य का इतिहास’ नहीं है । बल्कि ‘साहित्येतिहास का दर्शनालोचन’ है । इस पुस्तक में ‘साहित्येतिहास’ नामक भवन के निर्माण में जो तत्व, प्रवृत्तियाँ, बोध, विचार और दृष्टि ज़रूरी होती हैं, उनका विवेचनात्मक परिचय दिया गया है । --- विनोद तिवारी

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Reviews
यह पुस्तक साहित्य के इतिहास प्रेमियों के लिए एक वास्तविक रत्न है। लेखक ने जटिल विषयों को सरल भाषा में समझाया है, जिससे यह पुस्तक शुरुआती और जानकार पाठकों दोनों के लिए उपयुक्त है। पुस्तक कालीन क्रम में विभिन्न साहित्यिक युगों का अवलोकन करती है और प्रमुख लेखकों और उनकी रचनाओं पर प्रकाश डालती है। मुझे विशेष रूप से [विशिष्ट अध्याय या खंड का उल्लेख करें] अध्याय पसंद आया, जिसने मुझे [विषय वस्तु के बारे में सीखी गई बातों का उल्लेख करें] के बारे में अधिक जानने में मदद की। कुल मिलाकर, यह पुस्तक साहित्य के इतिहास की गहन समझ हासिल करने के लिए एक उत्कृष्ट संसाधन है।
Sankar Singh, Ghazipur
यह पुस्तक विभिन्न साहित्यिक युगों और लेखकों का अवलोकन करती है, लेकिन प्रत्येक अवधि या लेखक को उचित गहराई से कवर नहीं करती है। यदि आप साहित्य के इतिहास के बारे में बुनियादी जानकारी प्राप्त करना चाहते हैं, तो यह पुस्तक आपके लिए उपयुक्त हो सकती है। हालाँकि, यदि आप किसी विशिष्ट युग या लेखक के बारे में अधिक जानना चाहते हैं, तो आपको अधिक विस्तृत स्रोतों की ओर रुख करना पड़ सकता है। पुस्तक की भाषा सरल है और पढ़ने में आसान है।
Sunil kumar, Jaunpur