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Shaheedon Ki Chhaya Mein
राम कृष्ण खत्री भारत के क्रान्तिकारियों में जाना–पहिचाना नाम है । अपने जीवन में उन्होंने कई उतार–चढ़ाव देखें । प्रस्तुत पुस्तक उनकी अपनी आत्मकथा के साथ–साथ स्वतंत्रता संग्राम में उत्सर्ग हो जानेवाली जवानियों का सजीव दस्तावेज है । इस पुस्तक की विशेषता है स्पष्टवादिता, बिना किसी आडम्बर या माध्यम का सहारा लिये खत्रीजी ने पूर्ण कार्यकलापों का विवरण अत्यन्त प्रभावशाली ढंग से सरल भाषा में किया है । वे न केवल क्रान्तिकारी रहे बल्कि आन्दोलन के प्रत्यक्षदर्शी रहे हैं । जिससे वे सभी तथ्य उजागर हुए हैं जो अभी तक अज्ञात रहे हैं । इतना ही नहीं देश की स्वतन्त्रता के बाद नये देश का निर्माण किस ढांचे पर करेंगे व युवा क्रान्तिकारी अपने उद्देश्य की प्राप्ति के लिये किसी भी समझौते पर तैयार नहीं थे । इस तथ्य को खत्री जी ने पुनर्जागृत करने की कोशिश की है । स्वतन्त्रता आन्दोलन के इतिहास में रुचि रखने वाले पाठक इस पुस्तक के द्वारा भारतीय स्वतन्त्रता आन्दोलन के ज्ञात–अज्ञात तथ्यों से अवगत हो सकेंगे
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