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Triveni
हिन्दी आलोचना के शिखर-पुरुष आचार्य रामचन्द्र शुक्ल ने मध्यकाल के तीन कवियों मलिक मुहम्मद जायसी, महाकवि सूरदास और गोस्वामी तुलसीदास पर विस्तार से आलोचना लिखी थी. इन कवियों से सम्बन्धित उनकी आलोचना के सर्वोत्तम अंशों को एकत्रित कर ‘त्रिवेणी’ नामक एक छोटी-सी पुस्तक तैयार की गयी है. शिक्षण जगत में ‘त्रिवेणी’ की लगातार बढ़ती हुई उपयोगिता को देखते हुए वाणी प्रकाशन द्वारा इसका नया पुनर्नवा संस्करण प्रकाशित किया गया है. इस संस्करण को योगेन्द्रनाथ मिश्र की एक नयी भूमिका के साथ प्रस्तुत किया गया है जिसमें आचार्य रामचन्द्र शुक्ल की इतिहास-दृष्टि पर विशेष फोकस किया गया है . जायसी, सूर और तुलसी तीनों आचार्य रामचन्द्र शुक्ल के प्रिय कवि रहे हैं और उन्होंने तीनों की कृतियों पर ही अपनी आलोचना की धार को पैना किया है. इसलिए इस किताब को पढ़ना एक दिलचस्प अनुभव से कम नहीं होगा. ‘त्रिवेणी’ का यह नया वाणी संस्करण हिन्दी साहित्य और आलोचना के गम्भीर पाठकों के लिए वाणी प्रकाशन की एक नयी सौगात है.
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