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Mera Jeevan Mera Sangharsh

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2021
978-93-82821-10-6

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‘‘ख़ान अब्दुल ग़फ्फ़ार खान की आत्मकथा का अख़लाक” ‘आह्न’ ने इतना अच्छा हिन्दी अनुवाद किया है कि इसे पढ़ कर मुझे अपने बचपन का पेशावर याद आ गया जहाँ मैं उनसे मिली थी । वे मेरे पिता के दोस्त थे । उनकी आत्मकथा दर्शाती है कि वे दृढ़ उसूलों वाले इंसान थे, और जिस तरह से उन्होंने 20वीं शताब्दी के शुरुआती ज़माने में पठानों को नेतृत्व किया वो उस ज़माने की असाधारण उपलब्/िा थी । बयान करने का उनका सरल अन्दाज“ घटनाओं की स्पष्ट व्याख्या कर देता है । ये उन लोगों का अत्यन्त रोचक संस्मरण है जो पहली बार आपने राजनीतिक अ/िाकारों से परिचित हो रहे थे । गाँ/ाी जी के प्रति उनकी अविचल निष्ठा उनके शब्दों और सत्कर्मों से बिल्कुल स्पष्ट है, साथ ही पाकिस्तान के बनने और देश के टूटने से उन्हें लगा कि उनके साथ विश्वासघात हुआ है । बादशाह खान को 20वीं शताब्दी के भारत के इतिहास में जो स्थान मिला है, उससे ज्यादा के वो हक”दार हैं । आशा है कि उनकी आत्मकथा का यह हिन्दी अनुवाद ‘मेरा जीवन, मेरा संघर्ष’ हजारों पाठकों को इस अद्भुत और असा/ाारण व्यक्तित्व के निकट लाएगा’’ । - रोमिला थापर

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